THINK Before You Speak : 5 Key Steps


think before you speak



दोस्तों , एक बहुत पुरानी कहावत है - बातहि हाथी पाइये , बातहि हाथी पाँव 
इसका मतलब बहुत ही आसान है , कि आप अपने शब्दों से ही हाथी ( like) भी पा सकते हो और हाथी पांव (Dislike) भी। इसका क्या मतलब हुआ दोस्तों ?? कि -THINK  Before You Speak 
मतलब आप बोलिये खूब बोलिये पर एक बार मन में मंथन कर के। आपके शब्द ना तो आपको hurt करने चाहिए और ना ही दूसरों को। आपको पता है क्या कि ये quotation आखिर है किसकी ? चलिए मैं आपको उनके बारे में बताता हूँ-

Fran Lebowitz--

“Think before you speak. Read before you think.”
ये है इनकी पूरी quotation .. fran एक अमेरिकी लेखक हैं जिन्होंने 1995 में Mr. Chas and lisa sue meet the pandas बच्चो की पुस्तक के बारे में लिखा जो न्यूयार्क शहर में रहने वाले विशाल पांडा के बारे में था|
खैर यहाँ fran पे बात नहीं  है। यहाँ पर मैं आपको 5 steps की तरफ ले जाना चाहता हूँ कि जिनसे आप समझ पाएं की सोच के बोलने की जिंदगी में अहमियत क्या है।और अगर ये steps आपने अपनी life में उतार लिए तो आप कभी किसी भी कार्य में FAIL नहीं हो सकते। आइये आज का अपना सफर शुरू करते हैं --


1 ) अपने शब्दों के विचार कर लेने से आपके जीवन में सफलता के रास्ते खुल जाते हैं -

ये बड़ी simple सी बात है और समझने में आसान भी। मैं आपको बहुत ही साधारण से उदाहरण से समझाता हूँ -देखिये अगर जैसे हमें कोई मोबाइल फ़ोन खरीदना हो तो आज कल एक फैशन चल गया है कि हम पहले किसी से पूछते हैं। अब जैसे आपसे किसी ने पूछा कि भाई कौन सा मोबाइल लें तो आपका 2 जवाब होना चाहिए। पहला -अगर आपको सही से पता है कि कौन सा मोबाइल बेस्ट है तो आप उसको उस मोबाइल की खासियत बताते हुए समझा दें कि आप इसे ले सकते हैं। अब ये उसपर है कि वो उसे लेता है या नहीं।  
दूसरा-आप उसे बिना गुमराह किये हुए सीधे बता दें कि  आपको इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है| अब देखिये आपके कुछ समय सोच के बोलने से क्या फायदा होता है-अगर  आपके बताने से वो वही मोबाइल लेता है और सही निकल जाता है तो आपकी बातों का  trust जीवन भर के लिए  उसके मन में हो जाता है। और अगर आपने उसको सोच के ये बोला होता है कि मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है तो भी आप ट्रस्ट नहीं खोते हो। आपकी लोगों के बीच positive image आपको सफल बनाने की पहली सीढ़ी होती है। जैसे की हम इंटरनेट पर चीज़ों का review पढ़कर उसको लेने का मन बना लेते हैं तो ले उस रिव्यु लिखने वाले का trust factor है जो हम पर काम करता है। और ये factor ऐसे ही नहीं काम करता दोस्तों ये उसने कमाया है। उसके सही लिखे reviews को लोगों ने सराहा होता है और तब वो उसको positive feedback देते हैं और तब हम उन feedbacks को देख कर उसके trusted होने का अंदाज़ा लगाते हैं। दोस्तों ये feedbacks क्या हैं ? ये positive feedbacks हैं सोच के बोलने का नतीजा। मतलब THINK  Before You Speak का महत्व। तो आज के दौर में वो review writter सफल माना जायेगा। यही मेरा पहला key step था। 

2 ) अपनी बात को सामने रखने का तरीका -

एक कहावत है दोस्तों -"बोलने से पहले दो बार अवश्य सोचें ,क्योकि आपके  शब्द और प्रभाव दूसरों के दिमाग में सफलता या असफलता का बीज बो देंगे। " 
जिसने भी लिखा है क्या खूब लिखा है दोस्तों। इसका मतलब मैं आपको आपके बचपन में ले जाके समझाता हूँ -आपके साथ या आपके किसी भी classmate के साथ कभी ऐसा हुआ होगा कि  वो पढ़ने में थोड़ा कमजोर होगा। तो कभी जब वो class में किसी चीज़ का जवाब नहीं दे पाता होगा तो teacher उसको गुस्से में डाँटते होंगे। ज़्यदातर इन मामलो में teachers बोलते हैं कि नाकारा हो तुम ,किसी काम लायक नहीं हो ,क्यों अपने पिता का पैसा बर्बाद कर रहे , या तुम कभी कुछ नहीं बन पाओगे वगैरह वगैरह। दोस्तों ये बड़ा common है जो बोला ही जाता है।गुस्से में बोले गए इन शब्दों में वैसे तो कोई सच्चाई नहीं होती क्योकि कोई किसी का future नहीं जान सकता ,पर इन शब्दों का प्रभाव उस बच्चे के future पे असर जरूर डालता है। अगर वो इसे positive way में ले लेता है तो सफल बनता है और अगर negative way में लेता है तो असफल होने के chances होते हैं।
अब चलिए अपने 2 key step पर आते हैं। दोस्तों बात को सामने रखने के तरीके से आपको क्या समझ में आता है ? कुछ बहुत कठिन या कुछ बहुत बड़ा  answer मत सोचिये ,क्योंकि मैं आपको आसान तरीके से समझाता  हूँ इसको। देखिये अगर जैसे आपका कोई मित्र bank clerk  के exam की तैयारी कर रहा हो और आपको ये बात पता हो।आपका जब भी उससे या उसके घर वालो से सामना होता हो तो वो अक्सर यही कहते हों कि पढाई लिखाई में कमजोर हैं clerk ही बन जाये बहुत है। और वो बैंक clerk के साथ  साथ   बैंक अधिकारी का भी exam देता हो। अब एक दिन अचानक वो अधिकारी की पोस्ट पर सेलेक्ट हो जाता है और आपको अपने घर party पर invite करता है। आप जाते हैं और आप खुश हैं और ख़ुशी में गले लगा के आप उसको बधाई देते हैं - कि भाई मुबारक हो , क्लर्क के  exam में पास होना मुश्किल था तुम्हारा और तुमने अधिकारी की post ले ली। 
अब आपको क्या लगता है आपके words बुरे लगेंगे या अच्छे ?? जाहिर सी बात है  बुरे। यही होता है THINK  Before You Speak.. मतलब आप अंदर से खुश हैं ,पर शब्दों को सही तरह से न रखने के कारण आपकी बातें उसके लिए बुरी साबित हों जाती हैं। तो इसीलिए आपको अपने शब्द सही तरह से रखना आना चाहिए जैसे कि भाई मैं जानता था कि तुम भले ही क्लर्क की तैयारी कर रहे हो पर तुम अधिकारी का exam भी बहुत आसानी से पास कर सकते हो और देखो तुमने कर दिखाया। 

3)उचित समय का इंतज़ार करें और तब बोलें -

देखिये दोस्तों ये तो शायद हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं की सही समय पर ही बोलो। बहुत सारी quotations  भी अपने पढ़ी होंगी कि सही समय पर बोलिये।पर ये सही समय होता क्या है ये कौन बताएगा ? दोस्तों ये आपको कोई नहीं बताएगा क्योकि आपके बोलने का सही समय क्या है ये तो कोई जान ही नहीं सकता ना आपके अलावा। 
इसको भी मैं आपको एक रोज़मर्रा के उदहारण से ही समझाता हूँ - मान लीजिये आप किसी दुकान पर जाते हैं। वहां पहले से ही कुछ ग्राहक मौजूद हैं।  अब आप वहाँ जाकर कुछ चीज़ों का मूल्य पूछते हैं | आपके साथ उस समय 2  cases हो सकते हैं।  पहला -या तो आपने वो सामान कही और भी देखा है और उसका मूल्य पता है। 
दूसरा - आपने वो सामान कही नहीं देखा है और न ही मूल्य पता है। अब अगर आप उस समय उस shopkeeper से सबके सामने ये बोलते हैं कि आप तो बहुत महंगा दे रहे हैं तो ये आपकी मूर्खता है। क्योकि आप स्वयं उसकी शॉप पे आये हैं वो आपको बुलाने या लेने नहीं गया था | दूसरे ग्राहकों के सामने आपके ऐसा बोलने से आप उसके ग्राहक ख़राब कर रहे हैं जिसका कि आपको कोई अधिकार नहीं है। अब ऐसे हालात  में क्या होता है कि आपकी वैल्यू उस shopkeeper की निगाह में कम हो जाती है और जब भी आपको मज़बूरी में कोई सामान उसके यहाँ से लेना पड़ता है तो आपकी कम वैल्यू उस दिन उसके सामान की वैल्यू बढ़ा देती है और वो बोलता है कि  इतने का ही मिलेगा भाई लेना हो तो लो वरना जहाँ सस्ता हो वहाँ से लेलो और  तब आपको उसका behaviour ख़राब लगता है क्योकि आपको अपना behaviour याद  नहीं रह जाता। 
अब इन सब से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप बोलने के लिए उचित समय का wait करें। आपको उस समय रुक कर बाकी ग्राहकों के जाने का wait करना चाहिए और जब कोई न हो तो  shopkeeper से बोलना चाहिए कि भाई  लगता है कि शायद इसका मूल्य दूसरी जगह पर मुझे कम बताया गया था। तो उस वक़्त वो भी आपको एक वाजिब मूल्य देके आपको खुश कर सकता है जिससे दोनों के रिश्ते अच्छे बने रहेंगे।

4) छोटे से favour के लिए भी thanks बोलने की आदत डालें --

देखिये इसका उदहारण भी बड़ा simple सा है जो हम रोज़ अपनी दिनचर्या में फेस करते हैं। जैसे मान लेते हैं आप की कोई शॉप है। अब कोई ग्राहक आपके पास आता है। आप कोई सामान 600 का बताते हैं पर जब वो आपसे वही सामान खरीद लेता है तो आप उससे केवल 550 लेके उसको 50 रुपये वापस कर देते हैं। अब इसको समझिये। अगर कोई ग्राहक हमसे रेट को लेके ऊलजलूल बोलता है तो हम उसके कहने पर भी रेट कम नहीं करते हैं। जबकि अगर कोई ग्राहक शांति से हमसे बात करके सामान लेता है तो हम अपनी क्षमता के अनुसार खुद से उसको रेट में छूट दे देते हैं। अब जब हमने उसको खुद से 50 रुपये वापस कर दिए तो हम उससे अपेक्षा करते हैं कि  वो हमें thanks बोले मतलब हमारे छूट को recognise करे। अगर वो ऐसा करता है तो हम उसको हर बार कुछ न कुछ छूट देने का प्रयास करेंगे। इसी प्रकार दोस्तों अगर आप मेरा ब्लॉग पढ़ते हैं पूरा और आपको अच्छा लगता है तो आप एक अच्छी सी कमेंट लिखते हैं। पर कहीं न कहीं आपको तब ज्यादा अच्छा लगेगा जब मैं भी आपके उस comment पर आपको एक thanks की कमेंट लिखूंगा। Thanks और कुछ नहीं बल्कि आपके किये हुए कार्य का positive रिएक्शन होता है। तो देखा दोस्तों एक thanks word कितना जरुरी होता है life में बोलना। यही हमारा 4th key step भी है।

अपने बोलने की कला को समझने और निखारने के लिए आप बहुत कम दाम में Amazon से ये book खरीद कर पढ़ सकते हैं।  Book के page पर क्लिक करने से ये आपको अमेज़न के page पर ले जायेगा।

How to speak



5 ) ईमानदारी से सच बोलें --

दोस्तों आप अपने पूरे दिन में एक बार तो youtube देखते ही होंगे। उसमे आपने कई बार देखा होगा कि कुछ लोग उसमें fake channels बना कर fake links भी आपको देते हैं जिनका जब आप खुद परीक्षण करते हैं तो उन्हें गलत पाते हैं। तो वो ना  तो अपने profession के लिए ईमानदार होते हैं और ना ही ईमानदारी से सच बोलते हैं। इसी प्रकार जो लोग social media पर अफवाह फैलाते हैं वो भी इसी catagory में  आते हैं। 
इसी प्रकार आपने कभी किसी sales जॉब की पब्लिक मीटिंग attend  की होगी। वहां  भी सिर्फ आपको गुमराह करने के लिए बहुत आसान सी luxury life का सपना दिखाया जाता है। वहां आपको किसी ऐसे व्यक्ति से मिलाया जाता है जिसने बहुत कम समय में इसी जॉब से अपनी गाड़ी बंगला सब ले लिया है। जबकि सच्चाई इन सबसे बहुत दूर होती है। आप खुद सोचिये कि अगर इतनी successful जॉब होती होगी  तो वो ऐसे गली गली में टेंट लगाने की बजाये अपने काम में लगे होते। आज अगर बैंक के कर्मचारियों को गली गली जाकर लोगो को जोड़ना पड़  रहा है तो कहीं ना कहीं इसका कारण है उनकी face वैल्यू का कम हो जाना। पर क्या कभी ईमानदारी से कोई bank आपको बोलता है कि हमारा business कम हो गया है तो हम आपके पास आये हैं ? नहीं।  बल्कि बोला ये जाता है कि हमे ग्राहकों को बेहतर सुविधा देनी है इसलिए हम ऐसा कर रहे। वो ईमानदारी से सच नहीं बोल सकते। बस हमे अपनी यही कमी दूर करनी है।

अब दोस्तों हमने सारी बातें कर लीं , सब समझ लिया। 5 स्टेप भी जान लिए कि बोलने से पहने सोचना (THINK  Before You Speak ) क्यों जरुरी है। मैं आपको बताता हूँ कि  ये THINK  Before You Speak की आदत कैसे डालनी है आपको।

THINK before you speak
THINK FIRST 


बोलने से पहले कैसे सोचें --

बोलने से पहले सोचने के लिए आपको सबसे पहले ये सोचना होगा कि आप को अपने दिमाग और अपने विचारों पर  control करना है। एक बार जब आप तय कर लेंगे कि आपको अपने बोलने के तरीके में बदलाव करना ही है तो आप इस बात पर ध्यान देना भी शुरू कर देंगे कि next आप क्या बोलने जा रहे हैं। सच कहूं तो आप बस बोलने से पहले ये सोच लें कि जो बोलने जा रहा हूँ वो worth है या नहीं। बस  इतना सा।  और अपने बोलने में ज्यादातर thanks  तकनीक का प्रयोग करके देखें ,बेहतर परिणाम आपके सामने होंगे। 

सम्बंधित पोस्ट ( लेख नीचे जारी है )--


                                                        FAIL-Few Attempts In Learning



इस ब्लॉग के लिए बस इतना ही दोस्तों। 
भाइयों मैं आपसे अपने ब्लॉग से related कुछ कहना भी चाहता हूँ।देखिये ऐसा नहीं है कि मैं  अकेला ही motivational blog लिखता हूँ। बहुत सारे लोग लिखते हैं और बहुत अच्छा  भी लिखते होंगे।बहुत सारे लोगो ने इस topic पर भी blog लिखा होगा and i am sure कि बहुत अच्छा भी लिखा होगा।  मैं बस  आपलोगो को सब चीज़ बहुत सरल तरीके से समझने की कोशिश करता हूँ। मैं नहीं चाहता कि मैं आपको बातें इतने भारी भरकम तरीके से समझाऊँ कि आपके सर के ऊपर से निकल जाये। या आप पढ़ते पढ़ते बोर हो जाएं।  मैं जो उदहारण भी देता हूँ उसमे भी मेरा प्रयास  यही होता है कि मैं आपको रोज़मर्रा में होने वाली बातो में ही उनको समझाऊँ  ताकि आपको समझने में और उसको अपनी जिंदगी  में उतारने में आसानी हो। आपको भी पता है ना कि सफल वही teacher होता है जो चीजों को सरलतम तरीके से समझाता है।आज online teaching की बहुत सॉरी sites हैं पर फिर भी Byju's ने इतनी जल्दी num 1  पे जगह बना ली।  उसका reason  ही है simple  examples  और  यही बात वो अपने advertisement में भी कहता है। तो आपको समझ आ गया होगा कि simple way कितना जरुरी होता है।  मुझे बस आपको समझाना है। अगर  आपमें से एक ने  भी मेरी बातें को जिंदगी में कुछ हद तक भी उतार  लिया तो समझिये मेरा ब्लॉग लिखना सफल हो गया। 

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